छत्तीसगढ़ भाजपा में गुटबाजी और नेताओं में मतभेद आखिर क्यों 50 मंडल और 2 जिलों में तय नहीं हुए अध्यक्ष

रायपुर : छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) इन दिनों प्रदेश में संगठन चुनाव की प्रक्रिया में जुटी हुई है। हालांकि, पार्टी के लिए यह चुनाव आसान नहीं रहे हैं, क्योंकि प्रदेश में कई जिलों और मंडलों के अध्यक्षों का चयन अब तक नहीं हो पाया है। खासकर राजनांदगांव और कवर्धा जिलों में अध्यक्ष के चुनाव में समस्याएं आ रही हैं, जिसके कारण प्रदेश की सियासत भी गर्माती जा रही है।

राजनांदगांव और कवर्धा में अध्यक्ष चयन में अड़चन

राजनांदगांव और कवर्धा जिले में अध्यक्ष पद के लिए एक नाम पर सहमति नहीं बन पा रही है। राजनांदगांव में सांसद संतोष पांडे की पसंद सौरभ कोठारी हैं, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह की पसंद कोमल सिंह राजपूत हैं। इस मतभेद के कारण यहां अध्यक्ष का चयन स्थगित कर दिया गया है।

वहीं, कवर्धा में भी स्थिति समान है। डिप्टी सीएम और विधायक विजय शर्मा नीरज अग्रवाल को जिला अध्यक्ष बनाना चाहते हैं, जबकि सांसद संतोष पांडे राजेंद्र चंद्रवंशी के पक्ष में हैं। ऐसे में दोनों ही जिले में अध्यक्ष पद का चुनाव अटका हुआ है।

50 मंडलों के अध्यक्ष भी चयन की प्रक्रिया में अटके

इन दोनों जिलों के अलावा, 50 मंडल अध्यक्षों का चयन भी अभी तक नहीं हो पाया है। यह स्थिति भाजपा के संगठन चुनाव में असहमति और गुटबाजी को दर्शाती है। पार्टी नेताओं के बीच विभिन्न नामों को लेकर मतभेद उभरकर सामने आ रहे हैं, जिससे चुनाव की प्रक्रिया धीमी हो गई है।

संगठन चुनाव में गुटबाजी का आरोप

कांग्रेस पार्टी ने भाजपा पर संगठन चुनाव में गुटबाजी का आरोप लगाया है। कांग्रेस के पूर्व मंत्री शिव डहरिया ने कहा कि राजनांदगांव और कवर्धा में सांसद और मुख्यमंत्री के बीच टकराव दिख रहा है, जबकि कवर्धा में डिप्टी सीएम और सांसद एक नाम पर सहमति बनाने में नाकाम रहे हैं। इसके अलावा, मंडल चुनावों में भी स्थानीय विधायक और नेताओं के बीच संघर्ष की स्थिति बन रही है।

भा.ज.पा. का उद्देश्य: थर्ड जनरेशन का निर्माण

भा.ज.पा. संगठन चुनाव के माध्यम से अपनी “थर्ड जनरेशन” को तैयार करने की कोशिश कर रही है। यही कारण है कि पार्टी ने पुराने नेताओं के बजाय नए चेहरों को मौका दिया है। हालांकि, इस रणनीति को लेकर पार्टी के भीतर असंतोष भी देखने को मिल रहा है।

आगे की राह: नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों पर असर

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी के भीतर चल रही असहमति और गुटबाजी का असर आगामी नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों पर कितना पड़ता है। जल्द ही होने वाली बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की संभावना जताई जा रही है, और प्रदेश महामंत्री संजय श्रीवास्तव ने आश्वासन दिया है कि राजनांदगांव और कवर्धा में जल्द ही एक नाम पर सहमति बनाकर अध्यक्ष पद पर नियुक्ति कर दी जाएगी।

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